कोरानो के बाद अब राजस्थान चांदीपुरा वाइरस की एंट्री
उदयपुर के 2 मासूमों में मिले लक्षण एक बच्चे की मौत
जयपुर। कोरोना महामारी के बाद राजस्थान उदयपुर जिले में दो बच्चों में खतरनाक चांदीपुरा वायरस के लक्षण मिले हैं। जिनमें से एक बच्चे की मौत हो चुकी है, जबकि दूसरे का उपचार गुजरात के अस्पताल में चल रहा है। प्रदेश में खतरनाक संक्रमण की एंट्री के साथ ही चिकित्सा विभाग सक्रिय हो गया है तथा संबंधित बच्चों के गांवों में विभाग ने सर्वे शुरू किया है। संतोष की बात यह है कि अभी तक अन्य किसी बच्चे में यह संक्रमण नहीं मिला।
उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अंकित जैन ने बताया कि राज्य सरकार को उदयपुर जिले के खेरवाड़ा और नया गांव के दो बच्चों में चांदीपुरा वायरस के लक्षण पाए जाने की सूचना मिली थी। दोनों का उपचार गुजरात के हिम्मतनगर स्थित सिविल अस्पताल में चल रहा था। जिनके ब्लड एवं सीरम के सैंपल पुणे भिजवाए गए हैं। इन बच्चों में से एक की गत 27 जून को ही हो गए थे।
डॉ. जैन ने बताया कि खेरवाड़ा के बलीचा गांव में बच्चा 26 जून को अपने घर पर था। अचानक उसे दौरे आने लगे। पहले उसे भीलूड़ा (उदयपुर) सीएचसी ले गए। वहां से हिम्मतनगर (गुजरात) सिविल हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। दूसरे दिन उसकी मौत हो गई। दूसरा केस खेरवाड़ा के ही बावलवाड़ा गांव की बच्ची (5) का है। बच्ची को 5 जुलाई को उल्टी-दस्त, बुखार की शिकायत के बाद पहले ईडर (गुजरात) हॉस्पिटल ले जाया गया था। बाद में उसे हिम्मतनगर (गुजरात) रेफर किया गया। उसका आईसीयू में इलाज चल रहा था। दो दिन पहले उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया। बच्ची अब स्वस्थ है।
35 घरों का सर्वे कोई नया मरीज नहीं मिला
इस मामले में उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अंकित जैन का कहना है कि खेरवाड़ा के बलीचा और नयागांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोमवार को सर्वे कराया है। दोनों जगह 35 घरों के सर्वे में अभी ऐसा कोई नया मरीज नहीं मिला है, जिसमें चांदीपुरा संक्रमण के लक्षण हों। बीमार बच्चे के परिजनों की ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं है। मेडिकल टीमों को गुजरात से सटे कोटड़ा, खेरवाड़ा और नयागांव इलाके में तैनात किया गया है। बच्चे में चांदीपुरा वायरस के लक्षण थे। पुणे से रिपोर्ट आनी बाकी है।
एंटी लार्वा एक्टिविटी जारी, संक्रमण की कोई दवा नहीं
दो बच्चों में खतरनाक चांदीपुरा संक्रमण पाए जाने की सूचना के बाद चिकित्सा विभाग ने प्रभावित गांवों में एक डिप्टी सीएमएचओ, एक फिजिशियन, पीडियाट्रिशियन और एपीडर्मोलॉजिस्ट की अस्थायी रूप से नियुक्त किया है। यह वायरस आसपास के बच्चों में न फैले, इसको लेकर एंटी लार्वा एक्टिविटी जारी है। चांदीपुरा संक्रमण के इलाज के लिए आज तक कोई एंटी वायरल दवा नहीं बनी है।
वर्ष 1966 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा में हुई थी इस वायरस की पहचान
वर्ष 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में पहली बार बच्चों में नया संक्रमण देखा गया, जिसके चलते इसका नाम चांदीपुरा वायरस मिला। इसके बाद इस वायरस को वर्ष 2004-06 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया था। चांदीपुरा वायरस एक आरएनए वायरस है। यह वायरस सबसे अधिक मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से ही फैलता है। डॉ. जैन ने बताया कि मच्छर में एडीज ही इसके पीछे ज्यादातर जिम्मेदार है। 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा इसका शिकार होते हैं। उन्हीं में मृत्यु दर भी सबसे ज्यादा रहती है।
कैसे करें बचाव
इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि आप मच्छरों और कीड़ों से बच्चों को बचाकर रखे. इसके लिए घर के आसपास सफाई रखे. मच्छरों को पनपने न दें. बच्चों को पूरी बाजू़ के कपड़े पहनाएं और रात में सोते समय मच्छदानी का यूज करें ।
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