नेतृत्व संवाद ‘लीडरशिप कम्युनिकेशन’
एम्पावर टू एक्सेल विषय पर इंटरएक्टिव सत्र का आयोजन
जयपुर. आर. ए. पोदार इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर ने द अर्थ एसोसिएशन और सेतु संस्थान के सहयोग से एम्पावर टू एक्सेल विषय पर एक विशेष इंटरएक्टिव सत्र का आयोजन किया। यह एक सशक्त पहल थी, जिसका उद्देश्य प्रतिभागियों के व्यक्तिगत विकास, पेशेवर दक्षता और समग्र कल्याण को बढ़ावा देना था। सत्र को इस प्रकार डिजाइन किया गया था कि प्रतिभागियों को निजी और पेशेवर जीवन में सफल होने के लिए व्यावहारिक उपकरण और रणनीतियाँ प्राप्त हों।
इसमें निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई:
नेतृत्व संवाद (लीडरशिप कम्युनिकेशन)
स्वयं पर विश्वास करना कैसे शुरू करें
जीवन और कार्य के बीच संतुलन
अधिक उत्पादक कैसे बनें
प्रशस्ती कौस्तुभ, एक अनुभवी एम्पावरमेंट और सक्सेस कोच तथा मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता हैं, जो अपनी संवादात्मक और प्रेरणादायक शैली के लिए जानी जाती हैं। विचारोत्तेजक चचार्ओं और वास्तविक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने श्रोताओं से गहरा संवाद स्थापित किया, जिससे सत्र अत्यंत समृद्ध और प्रभावशाली बन गया। यह सत्र संस्थान के सेमिनार हॉल में आयोजित हुआ, जिसमें 350 से अधिक छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की उत्साही भागीदारी देखने को मिली। यह समग्र विकास और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता को दशार्ता है।
स्वयं को प्राथमिकता स्वार्थ नहीं अनिवार्यता: प्रशस्ती कौस्तुभ
अपने संबोधन में प्रशस्ती कौस्तुभ ने विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए स्व-देखभाल (सेल्फ-केयर) के महत्व को रेखांकित किया, जो जीवन के नए चरणों की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवन की भागदौड़ में लोग अक्सर अपनी जरूरतों को अनदेखा कर देते हैं, जबकि स्वयं को प्राथमिकता देना स्वार्थ नहीं बल्कि अनिवार्यता है। जैसे-जैसे स्नातक नए शहरों, कार्यस्थलों और सामाजिक परिवेशों में कदम रखते हैं, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की देखभाल और भी आवश्यक हो जाती है। भगवद गीता से उदाहरण लेते हुए उन्होंने बताया कि केवल एक पोषित और भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्ति ही अपने कर्तव्यों को सही रूप से निभा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को यह सीखने के लिए प्रेरित किया कि ब्रेक लेने में अपराधबोध या आत्म-देखभाल को विलासिता मानने जैसी सीमित मान्यताओं को पीछे छोड़ना जरूरी है। इसके स्थान पर उन्होंने अपने भीतर की शक्ति को पोषित करने के लिए जागरूक और उद्देश्यपूर्ण प्रयास करने की बात कही।
आप दूसरों को तभी कुछ दे सकते हैं जब आपका अपना पात्र भरा हो
प्रो. अनुराग शर्मा, निदेशक, आर. ए. पोदार इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट, विश्वविद्यालय राजस्थान, जयपुर ने इस सत्र को छात्रों और पेशेवरों दोनों के बीच एक सकारात्मक, सक्रिय और सशक्त मानसिकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक मूल्यवान कदम बताया। उन्होंने संस्थान की इस प्रतिबद्धता को दोहराया कि वह अपने अकादमिक समुदाय के समग्र विकास के लिए ऐसे प्रयासों को निरंतर प्रोत्साहन देता रहेगा।
यह इंटरएक्टिव सत्र आर. ए. पोदार इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट की उस सतत यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पड़ाव रहा, जिसका उद्देश्य संतुलित, सशक्त और जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले व्यक्तित्वों का निर्माण करना है।
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