जयपुर। भूख ना लगना, बार-बार इन्फेक्शन होना, वजन कम होना जैसे लक्षण बच्चों में कई बार देखे जाते हैं। यह लक्षण बच्चों में होने वाले कैंसर को बताते हैं। समय पर जांच और उपचार की शुरुआत से बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा सकता है। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर कई तरह की चुनौतियों के साथ आता है, जैसे देर से पहचान, महंगा इलाज और जागरूकता की कमी। वहीं समय पर उपचार की शुरुआत से 80 फीसदी से अधिक बाल कैंसर रोगी कैंसर को हराकर सामान्य जीवन यापन करते है।
हेमेटो ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ उपेंद्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में होने वाले कैंसर वयस्कों के कैंसर से अलग होते हैं। ये आमतौर पर तेजी से विकसित होते हैं और इनके इलाज के लिए विशेष प्रकार की चिकित्सा की जरूरत होती है। सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर), ब्रेन ट्यूमर, लिंफोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर (किडनी कैंसर), रेटिनोब्लास्टोमा, ऑस्टियो सारकोमा और इविंग सारकोमा (हड्डियों का कैंसर) है। इन बच्चों में होनी सर्जरी भी बहुत चुनौतीपूर्ण होती है।
आनुवंशिक कारक है प्रमुख
बच्चों में होने वाले कैंसर को कोई एक स्पष्ट कारक नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारणों पर शोध किया गया है। इनमें आनुवंशिक कारक, पर्यावरणीय कारणों से रेडिएशन, प्रदूषण और जहरीले रसायनों के संपर्क में आने एवं प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी शामिल हैं।
बच्चों में कैंसर की स्थिति
ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के अनुसार, भारत में 26,016 कैंसर रोगी
की पहचान प्रतिवर्ष हो रही है। राजस्थान में भी हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में नए कैंसर रोगियों की पहचान हो रही है।
लक्षणों की पहचान जरूरी
डॉ प्रषांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में कैंसर के कई लक्षण है जिनमें अत्यधिक थकान और कमजोरी, लगातार बुखार रहना, असामान्य वजन घटना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण होना, शरीर पर असामान्य सूजन या गांठ, आंखों की रोशनी में गिरावट या सफेद चमक दिखना। अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।