कर्म की अजीब दास्तां - आचार्य सुनील सागर जी महाराज
कर्म-की-अजीब-दास्तां-है-जब-उदय-में-आता-है-तो-सब-दरवाजे-बंद-कर-देता-है-और-जिंदगी-कारागृह-में-तब्दील-हो-जाती-है - आचार्य सुनील सागर जी महाराज
अजमेर - सेंट्रल जेल अजमेर में आज आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने बंधक कैदियों को प्रवचन देते हुए कहा कि यहां आने का मन किसका होता है लेकिन तनाव गुस्सा क्रोध एक पल का ऐसा आता है कि हमसे वह जुर्म कर देता है और हम अपराध कर कर अपराधी बन जाते हैं और यहां की मेहमान बन जाते हैं हमें अपना होश और जोश दोनों संभाल कर रखना चाहिए अपराध होने की वजह इन दोनों को नहीं संभालना मूल कारण है
यह जरूरी नहीं है कि कसूरवार ही जेल में आता हो कई बार बेकसूरों को भी अपने पुराने कर्मों की सजा इस जन्म में भुगतनी पड़ सकती है हमें शांत रहना होगा शांत होकर जीना होगा क्रोध को वश में रखना पड़ेगा तभी जीवन में स्वाधीनता शामिल होगी
आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने जब कहा कि आपकी पत्नी आपका बेटा आपकी बहन आपको हमेशा याद करते होंगे और आपकी आंखों में भी उनकी यादों का बसेरा है कोशिश करें अच्छा स्वभाव जीवन में लाएं कि आप उनसे दोबारा मिल सको जिस कारण से अपराध हुआ है उसे कारण का भी हमें उपचार करना चाहिए
आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने जेल में चल रही सभी कारगर योजनाओं को देखा कालीन बना रहे हैं घरेलू सामग्री को कैसे कैदी लोग बना रहे हैं कैसे उनका भोजन बनता है सब देखकर आचार्य सुनील सागर जी ने कहा कि इंसान को कार्य करने की लगन होनी चाहिए जेल के अंदर हो चाहे बाहर अपने कार्य कुशलता से इंसान की स्वयं की पहचान होती है
प्रवक्ता संदीप बोहरा ने बताया कि आचार्य श्री के साथ सेंट्रल जेल प्रवचन में जाने वाले प्रकाश पाटनी अशोक अजमेरा पंकज गंगवाल राजकुमार लोहारिया अरिंजय जैन सुशील बाकलीवाल चंद्र प्रकाश वेद कमल वेद आदि शामिल थे
जेल अधीक्षक अनंत केश्वर जी का जैन समाज की ओर से साफा और शॉल बना कर सम्मान किया गया
प्रवक्ता संदीप बोहरा बताया कि 14 दिन की अजमेर में अभूतपूर्व धर्म प्रभावना के पश्चात विद्यासागर तपोवन से मंगल विहार हो गया किशनगढ़ की और हुए इस प्रस्थान में तीर्थ क्षेत्र ज्ञानोदय नारेली के भी दर्शन करेंगे
What's Your Reaction?