जोधपुर । राष्ट्रसंत श्री चंद्रप्रभ जी ने कहा कि शरीर के दोषों को मिटाने के लिए आयुर्वेद है, भाषा के दोषों को मिटाने के लिए व्याकरण है और मन के दोषों को मिटाने के लिए योग रामबाण औषधि है। योग कोई पंथ या परंपरा नहीं शुद्ध रूप से जीवन जीने की शानदार कला है।
आज के तनाव, चिंता और प्रतिस्पर्धा भरे युग
में योग करना अति आवश्यक है अन्यथा इंसान की खुशियों को ग्रहण लग जाएगा। उन्होंने कहा कि आरोग्य और अंतर्मन की शांति पाने के लिए योग से बढ़कर कोई सरल मार्ग नहीं है। अगर आप अपने दिन को मिरेकल बनाना चाहते हैं तो दिन की शुरुआत योग से कीजिए।
संत प्रवर शुक्रवार को संबोधि धाम, कायलाना रोड़ में इंटरनेशनल योगा डे प्रोग्राम के दौरान भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पतंजलि महावीर और बुद्ध जैसे लोगों ने योग के मार्ग से परम शांति और परम आनंद को उपलब्ध किया। अगर हम भी नियमित रूप से योग के आठ चरणों को जीवन से जोड़ लेंगे तो जीवन इंद्रधनुष की तरह सुंदर और खुशनुमा बन जाएगा। उन्होंने कहा कि यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधि - यह आठ अंग सुख शांति समृद्धि शक्ति और मुक्ति पाने के लिए सरल तकनीक है। उन्होंने साधकों को कर्मयोगी बनने की प्रेरणा देते हुए कहा कि अगर आप मेहनत नहीं करोगे तो हमेशा बीमार रहोगे और निष्काम भाव से कर्म करोगे तो सदा स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहोगे।
उन्होंने कहा कि हमें ज्ञान योगी बनना चाहिए। प्रतिदिन 15 मिनट अच्छी किताबों का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अनासक्त योगी बनें और प्रतिदिन 10 मिनट ध्यान अवश्य करें। ध्यान करने से हमारी शारीरिक मानसिक बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती है।
संत प्रवर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व योग दिवस निर्धारित करने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आने वाला युग योग का युग है एक दिन ऐसा अवश्य आएगा जब हर व्यक्ति सुबह योग करता हुआ नजर आएगा वह विश्व का सबसे महान दिन होगा।