शतरंज की बिसात पर निखरता नाम वाणी जैन
लॉकडाउन की लहर में तय किया शतरंज का सफर
जयपुर - मानसरोवर स्थित महात्मा गांधी सरकारी स्कूल कक्षा 9 की छात्रा उम्र 13 वर्ष वाणी जैन माध्यम वर्गीय संयुक्त परिवार से हैं । वर्तमान समय में शतरंज की बहुत अच्छी खिलाड़ी है।
कोरोना का समय था और लॉकडाउन लगा था सभी घरों में पैक थे, टीवी और मोबाइल की लत लगी पड़ी थी उस समय वाणी ने अपने पापा से शतरंज खेलना सिखा। शुरुआत में तो यह खेल बहुत बोरिंग लगा लेकिन धीरे-धीरे इंटरेस्ट आया तो यह खेलती गई वर्तमान समय में रोज 4 से 5 घंटे शतरंज खेलती है वाणी ने जयपुर और जयपुर के बाहर भी बहुत से टूर्नामेंटों मैं भाग लिया है और से बहुत से रिकॉर्ड अपने नाम कीये है । वाणी ने अपनी सहेलियों को भी शतरंज खेलना सिखाया और आज उसकी सहेलियां भी इस खेल में बहुत रुचि रखती है ।
वाणी बताती है कि है शतरंज दैनिक जीवन के लिए बहुत जरूरी है शतरंज और जीवन में कोई विशेष फरक नहीं है जीवन में उपलब्धिया पाने के लिए शतरंज को समझना बहुत जरूरी है । शतरंज एक भारतीय खेल है और इसकी शुरुआत भी भारत से ही हुई है।
शतरंज खेलने से सीखने की क्षमता बढ़ती है , डिसीजन लेने की क्षमता बढ़ती है प्लानिंग और फोकस करने की क्षमता भी बढ़ती है ।
वाणी बताती है कि शतरंज हमें हर कदम को सोच समझ कर चलना सीखाता है एवं विशेष परिस्थितियों में कदम पीछे लेना भी सीखाता है ।
शतरंज हमें एक अनुशासित रणनीति सीखाता है , और कई बार रणनीति बदलनी भी पड़ती है यह भी सीखाता है ।
वाणी सभी पेरेंट्स को कहना कहना चाहती है कि वह भी अपने बच्चों को शंतरज खेलना सिखाए शतरंज बच्चों में बदलाव लायेगा और शतरंज की चाल जीवन में बहुत काम आएगी।
वाणी सरकार से भी निवेदन करती है की हर भारतीय स्कूल में शतरंज की शिक्षा दी जाए जिससे कि बच्चों में शतरंज के प्रति रुचि बढ़े।
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