रैवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज हुए ब्रह्मलीन
राघवाचार्य महाराज ने अपना जीवन धार्मिक और सामाजिक सेवा में समर्पित किया
जयपुर । सीकर जिले में स्थित रैवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज का शुक्रवार सुबहहुए ब्रह्मलीन । वहां चिकित्सकों ने उनके निधन की पुष्टि कर दी। राघवाचार्य महाराज की ब्रह्मलीन से न केवल सीकर जिले में, बल्कि देशभर में उनके लाखों अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई । राघवाचार्य महाराज ने अपना जीवन धार्मिक और सामाजिक सेवा में समर्पित किया। उनकी शिक्षा और मार्गदर्शन ने लाखों लोगों के जीवन को प्रेरित किया है। उनके ब्रह्मलीन से केवल अनुयायियों ही नहीं, बल्कि कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों में भी शोक की लहर है।
रैवासा के जानकीनाथ मंदिर के थे पीठाधीश्वर
महंत राघवाचार्य सीकर में भगवान राम के सबसे पुराने मंदिर रैवासा के जानकीनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर थे। यह मंदिर 1570 में बना था। सबसे प्राचीन पीठ भी यही है। इस जगह ही अग्रदेवाचार्य महाराज ने विवाह, होली के पद बनाए, जिन्हें जनकपुर तक गाया गया। मधुर उपासन का प्रचार भी इसी पीठ से हुआ है। वैष्णव संप्रदाय में 37 में से 12 आचार्य पीठ इसी गद्दी से निकली है।
वेदान्त विषय में गोल्ड मेडलिस्ट थे राघवाचार्य
राघवाचार्य जी वेदान्त विषय में गोल्ड मेडलिस्ट थे। वे राजस्थान संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान उन्होंने राजस्थान में वेदाश्रमों की भी स्थापना की। रैवास वेद विद्यालय में वेदों की शिक्षा लेने वाले स्टूडेंट इंडियन आर्मी से लेकर कई बड़े संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
राम जन्मभूमि आंदोलन में था बड़ा योगदान
रैवासा पीठाधीश्वर को अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान राम के मंदिर में उनकी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने का निमंत्रण भी मिला था। तब उन्होंने मीडिया को बताया था कि मैं 1984 से इस आंदोलन से जुड़ा था। आज मेरा स्वास्थ्य खराब रहने का एक कारण, वह आंदोलन भी रहा। वहां एक दिन में 10 से ज्यादा सभा करनी पड़ती थी।
राजस्थान राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने रैवासा धाम के पीठाधीश्वर राघवाचार्य के ब्रह्मलीन होने पर शोक जताया
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे व मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित अन्य नेताओं ने रैवासा धाम के पीठाधीश्वर संत राघवाचार्य महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
राज्यपाल बागडे ने अपने शोक संदेश में कहा कि वेद वांग्मय और संस्कृत के साथ सनातन भारतीय संस्कृति के प्रसार के लिए राघवाचार्य महाराज का योगदान सदा याद किया जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि राघवाचार्य महाराज का देवलोक गमन अपूरणीय क्षति है।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, ‘‘रैवासा पीठाधीश्वर पूज्य संत राघवाचार्य जी महाराज आज हमारे बीच नहीं हैं, यह सोचकर ही मन बहुत व्यथित है। उनका जाना सनातन धर्म के लिए एक अपूरणीय क्षति है।’’
उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए चले आंदोलन से उनका गहरा जुड़ाव रहा, इस निमित्त वे जेल भी गए। उन्होंने कहा कि वे संस्कृत भाषा और वेद-वेदांग के उच्च कोटि के विद्वान थे तथा धर्म-अध्यात्म के साथ-साथ समाज हित से जुड़े कार्यों के लिए आजीवन समर्पित रहे।
राज्यसभा सांसद ने सुनाई राघवाचार्य की वसीयत, वृंदावन के संत को वारिस घोषित किया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित अनेक नेताओं ने संत राघवाचार्य के ब्रह्मलीन पर शोक व्यक्त किया है।
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