वैध बजरी खनन की नहीं मिल रही मंजूरी

निवेशकों को छोड़ा भगवान भरोसे, एसईआईएए' चेयरमैन का कार्यकाल हुआ पूरा

Oct 15, 2024 - 12:20
 0  8
वैध बजरी खनन की नहीं मिल रही मंजूरी

जयपुर। प्रदेश में बजरी के अवैध खनन पर रोक की कवायद लंबे समय से चल रही है, किन्तु अभी तक इस पर पूरी तरह अमल नहीं हो पा रहा है। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन से रोक हटाते हुए सरकार को स्पष्ट आदेशित किया है कि बजरी के वैध खनन की नियमानुसार मंजूरी दी जाए, जिससे कि सरकार के राजस्व में वृद्धि हो और अवैध बजरी खनन को रोका जा सके। बावजूद इसके राज्य सरकार एवं खान विभाग के अधिकारी घोर लापरवाही बरत रहे है और बजरी खनन की मंजूरी नहीं दे रहे है। इसी के चलते राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) में ईसी के लिए आवेदनों का अंबार लगा है।

   बता दें कि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के चेयरमैन का कार्यकाल 11 अक्टूबर को समाप्त हो गया। राज्य सरकार द्वारा नया चेयरमैन लगाने में उदासीनता बरती गई। अभी तक इसका पुर्नगठन नहीं किया गया। विदित रहे कि चेयरमैन की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार केंद्र से अनुमति लेकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है, जिसमें करीब तीन माह का समय लग जाता है। राज्य सरकार ने अभी तक प्रक्रिया ही आरंभ नहीं की है। जिसके चलते निवेशकों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।           

निकाली गई नीलामी हुई असफल

  उल्लेखनीय है कि हाल ही में बजरी के लिए निकाली गई नीलामी असफल हो गई, असफल होने का कारण इसकी अधिकतम नीलामी 200 करोड़ रुपए बताया गया। जानकारी के अनुसार राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण में नए चेयरमैन के आगमन का इंतजार हो रहा है। अधिकारी फाइल्स को छेड़ना उचित नहीं समझ रहे है। जिसके कारण प्रदेश के कई जिलों में वैध खनन मंजूरी के लिए आए आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

      राजस्व का हो रहा बड़ा नुकसान

सुप्रीम कोर्ट के निदेर्शों के अनुसार राज्य में बजरी के वैध खनन को नियमित करने और बजरी की अवैध खनन गतिविधियों को रोकने के लिए सिफारिश की। राजस्थान में अवैध बजरी खनन से जहां एक ओर कई समस्याएं खड़ी हो गई, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार को भी राजस्व नहीं मिलने का बड़ा नुकसान हो रहा है। चूंकि कानूनी रूप से बजरी खनन को नियमित करने के मुद्दे का सरकार पर दबाव है, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को राज्य में बजरी खनन से संबंधित प्रस्तावों और इसके लिए परियोजनाओं को मंजूरी देने का निर्देश दिया है। किंतु वास्तविकता यह देखने को मिल रही है कि एसईआईएए के अधिकारी अपने ऊपर कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं दिखाई देते है। सभी अपने हाथ बचा रहे है। जिसके चलते बजरी के वैध खनन की मंजूरी नहीं मिल पा रही है। अधिकारी जान बूझकर प्रस्तावों को मंजूरी देने की प्रक्रिया में देरी कर रहे हैं।      

 प्राधिकरण अधिकारियों का नहीं मिल रहा सहयोग

हालांकि राज्य सरकार सस्ती बजरी उपलब्ध कराने को लेकर नए पट्टे नीलाम करने की योजना पर कार्य कर रही है, किंतु राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (सिया) के अधिकारी मामले में गंभीरता नहीं दिखा पा रहे है। जिसके कारण राजस्व का भारी नुकसान भी हो रहा है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

SJK News Chief Editor (SJK News)