उपवास स्वयं की साधना का सबसे बड़ा मार्ग : आचार्य शशांक सागर
उपवास स्वयं की साधना का सबसे बड़ा मार्ग : आचार्य शशांक सागर
उपवास स्वयं की साधना का सबसे बड़ा मार्ग : आचार्य शशांक सागर जी
जयपुर - श्री दिगंबर जैन मंदिर वरुण पथ मानसरोवर जयपुर में विराजमान परम पूज्य आचार्य गुरुवर शशांक सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे दशलक्षण महापर्व महोत्सव के समापन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जन समुदाय को मंगल आशीर्वाद देते हुए कहा की उपवास स्वयं की साधना का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है मनुष्य अपने जीवन को उपवास के माध्यम से वीर प्रभु की साधना करके भाग्योदय के पथ पर चल सकता है क्योंकि उपवास में की गई साधना सर्वश्रेष्ठ होती है और अपने जीवन को सार्थक करने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग भी यही है बंधुओ भादवे के महीने में की गई साधना से आपके जीवन का मार्ग प्रशस्त होता है जीवन को एक नई दिशा मिलती है आपके जीवन में जो भटकाव चल रहा है उसे पर विराम लग जाता है क्योंकि आपने अपने आप को साधना के मार्ग पर चलने के लिए तैयार कर लिया है और यही स्वयं के लिए सर्वश्रेष्ठ पाने का सबसे बेहतर रास्ता है
प्रचार संयोजक विनेश सोगानी ने बताया कि सोलह कारन जी के 32 उपवास करने वाले श्री गिरीश जी जैन का श्री दिगंबर जैन समाज समिति द्वारा विशेष सम्मान किया गया एवं उनके द्वारा की गई त्याग के इस साधना की अनुमोदना की भावना भाई गई इस अवसर पर राजस्थान जैन सभा के अध्यक्ष सुभाष चंद्र जैन महामंत्री मनीष बेद मंत्री विनोद जैन कोटखावदा राजस्थान जैन युवा महासभा के अध्यक्ष प्रदीप जैन समाज समिति वरुण पथ के कोषाध्यक्ष कैलाश सेठी उपाध्यक्ष राजेंद्र सोनी कार्यक्रम संयोजक विनेश सोगानी संतोष कासलीवाल सतीश कासलीवाल ने सभी का स्वागत किया श्री दिगंबर जैन मंदिर वरुण पथ मानसरोवर में प्रतिदिन आयोजित किए जाने वाले भगवान महावीर विधान एवं हवन के पुण्यार्जक अशोक शीला पापड़ीवाल ने भगवान महावीर स्वामी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करने एवं परम पूज्य आचार्य गुरुवर के पाद पक्षालन एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त किया
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